Diwali Katha In Hindi 2024 दिवाली 2024 Vrat Ki Katha, दिवाली की पौराणिक कथा
Diwali Puja Katha Story in Hindi: दिवाली का त्योहार इस साल 31 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा।
दिवाली का पर्व इस साल 31 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा। हर वर्ष इस दिन को उल्लास और श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, ताकि साधक को धन-समृद्धि की प्राप्ति हो। ऐसी मान्यता है कि दिवाली के दिन पूजा के समय कथा का पाठ करने से अत्यधिक शुभ फल मिलता है। आइए जानते हैं दिवाली की पौराणिक कथा:
दीपमालिका की पूजा कथा
दिवाली 2024 व्रत कथा: दिवाली की पौराणिक कथा
दिवाली का पर्व इस साल 31 अक्तूबर 2024 को मनाया जाएगा। भारत में दीपावली का यह पावन त्योहार हर वर्ष अत्यधिक उल्लास, प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला और जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली लाने वाला पर्व माना गया है। दिवाली के इस विशेष अवसर पर धन की देवी लक्ष्मी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि लक्ष्मी पूजन का यह शुभ दिन साधक को अपार धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति कराता है। दिवाली के दिन पूजा के दौरान कथा का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है। आइए, यहां पढ़ें दिवाली की पौराणिक कथा और उसके महत्व के बारे में।
दीपमालिका पूजा की कथा]
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पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक धनी साहूकार अपने परिवार के साथ निवास करता था। उस साहूकार की एक प्यारी सी बेटी थी। एक दिन उसने देखा कि धन की देवी माता लक्ष्मी पीपल के पेड़ के नीचे से प्रकट हो रही हैं। लड़की की पवित्रता और भक्ति देखकर माता लक्ष्मी ने उससे कहा, “मैं तुम पर प्रसन्न हूं और चाहती हूं कि तुम मेरी सहेली बन जाओ।” लड़की ने विनम्रता से कहा, “मैं अपने माता-पिता से पूछकर आपको उत्तर दूंगी।”
लड़की के माता-पिता ने लक्ष्मी जी की बात स्वीकार कर ली, और इस प्रकार वह माता लक्ष्मी की सहेली बन गई। माता लक्ष्मी का उस लड़की पर स्नेह और विश्वास गहराता गया। एक दिन माता लक्ष्मी ने उसे अपने घर पर भोजन का निमंत्रण दिया। लड़की जब लक्ष्मी जी के घर पहुंची, तो माता लक्ष्मी ने उसे सोने-चांदी के बर्तनों में भोजन परोसा और सुंदर वस्त्र पहनने के लिए दिए। इसके बाद माता लक्ष्मी ने वचन दिया कि वे एक दिन उस लड़की के घर भी आएंगी।
लड़की ने माता लक्ष्मी का यह निमंत्रण खुशी-खुशी स्वीकार किया और घर लौटकर अपने माता-पिता को इस बात की जानकारी दी। माता-पिता ने इस अवसर का स्वागत किया, लेकिन लड़की के मन में चिंता थी कि साधारण घर में वे माता लक्ष्मी का स्वागत कैसे करेंगे। माता लक्ष्मी के ऐश्वर्य की कल्पना से लड़की उदास हो गई। उसके पिता ने उसे समझाया कि श्रद्धा और प्रेम से सजे हुए उनके साधारण घर में भी लक्ष्मी जी को संतुष्ट किया जा सकता है।
भाग्य का आशीर्वाद
जैसे ही लड़की और उसके पिता यह बात कर रहे थे, एक चील उड़ते हुए उनके घर आई और कहीं से एक रानी का नौलखा हार गिरा गई। इस दुर्लभ नौलखा हार को देखकर साहूकार के परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा। लड़की ने उस हार को बेचकर माता लक्ष्मी और गणेश जी के स्वागत के लिए भोजन और सजावट का पूरा प्रबंध कर लिया।
लक्ष्मी और गणेश जी का आगमन
दिवाली की संध्या को, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश साहूकार के घर पधारे। लड़की ने उन्हें सोने की चौकी पर बिठाया और प्रेम और भक्ति से भोग लगाया। माता लक्ष्मी और गणेश जी के घर आगमन से साहूकार का घर धन-धान्य और सुख-समृद्धि से भर गया। उनके आशीर्वाद से साहूकार का परिवार खुशहाल हो गया और उनका जीवन सफल हो गया।
इस प्रकार, दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के दौरान इस पौराणिक कथा का पाठ करना अति शुभ माना जाता है। यह कथा न केवल धर्म और भक्ति का महत्व बताती है बल्कि यह भी सिखाती है कि प्रेम, श्रद्धा और सच्ची आस्था से ही देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक के जीवन को संपन्नता से भर देती हैं।